“Tumhari Kabra par…..” by famous Urdu Poet Nida Fazli

तुम्हारी कब्र पर मैंफ़ातेहा पढ़ने नही आया, मुझे मालूम था, तुम मर नही सकतेतुम्हारी मौत की सच्ची खबरजिसने उड़ाई थी, वो झूठा था,वो तुम कब थे?कोई सूखा हुआ पत्ता, हवा मे गिर के टूटा था । मेरी आँखेतुम्हारी मंज़रो मे Read More …