तुम्हारी कब्र पर मैंफ़ातेहा पढ़ने नही आया, मुझे मालूम था, तुम मर नही सकतेतुम्हारी मौत की सच्ची खबरजिसने उड़ाई थी, वो झूठा था,वो तुम कब थे?कोई सूखा हुआ पत्ता, हवा मे गिर के टूटा था । मेरी आँखेतुम्हारी मंज़रो मे Read More …
तुम्हारी कब्र पर मैंफ़ातेहा पढ़ने नही आया, मुझे मालूम था, तुम मर नही सकतेतुम्हारी मौत की सच्ची खबरजिसने उड़ाई थी, वो झूठा था,वो तुम कब थे?कोई सूखा हुआ पत्ता, हवा मे गिर के टूटा था । मेरी आँखेतुम्हारी मंज़रो मे Read More …