2. तुंगावाटर Stories by Prof. Vishwanath Mishra (made during his classes in 1996)

सातोशि गाँव में रहता था। उसके पिता किसान थे। उनके पास काफी ज़मीन थी। लेकिन वे चावल पैदा नहीं करते थे। न सब्जी उगाते थे, न ही फूल उगाते थे। फल भी पैदा नहीं करते थे। वे इतने बड़े खेत में औषधि पैदा करते थे। गाँव से थोड़ी दूर एक छोटा बाजार था। वहाँ एक डॉक्टर रहते थे। उनका नाम था कोसाकि। डा० कोसाकि चीनी उपचार पद्धति से इलाज करते थे। सातोशि के पिता से वनौषधि खरीदते थे। सातोशि वनौषधि लेकर डॉक्टर के यहाँ जाता था। वह उनके यहाँ प्रायः रोज ही जाता था। डॉ० कोसाकि को सातोशि बहुत पसन्द था। क्योंकि सातोशि मेहनती, समझदार और ईमानदार था।

डॉ० कोसाकि बहुत मशहूर डॉक्टर थे। पहले उनके यहाँ बहुत भीड़ होती थी। लेकिन अधिक उम्र होने के कारण उन्होंने काम कम कर दिया था। अब वे केवल असाध्य रोगियों का ही इलाज करते थे। वे चीनी दवाइयाँ स्वयं बनाते थे, जिसमें उनका काफी समय लगता था। सातोशि डॉक्टर की मदद करता था। सातोशि अपने पिता की तरह किसान नहीं बनना चाहता था। वह भी डॉक्टर या दवा निर्माता बनना चाहता था। इसलिए जब डॉक्टर कोसाकि दवा बनाते, तो वह बड़े ध्यान से देखता था। इस तरह चीनी दवाओं के बारे में वह काफी कुछ जानता था।

एक दिन सातोशि डॉक्टर के पास बैठा था। तभी एक फ़ोन आया। डॉक्टर कोसाकि को अपने दोस्त के घर जाना पड़ा। उन्होंने जाने से पहले सातोशि से कहा, “मुझको जाना पड़ रहा है। तुम मेरे आने तक यहीं रहो। स्टोव पर केटली मे तुंगा उबल रहा हैं, इसका ख्याल रखना।” सातोशि बोला, आप चिन्ता न करें, मैं देख लूँगा।” डॉक्टर के जाने के बाद सातोशि कुछ देर तो केटली को देखता रहा, फिर उसने एक किताब उठा ली और पढ़ने लगा। किताब बहुत दिलचस्प थी। वह भूल गया कि तुंगा स्टोव पर उबल रहा है। एकाएक तेज रोशनी हुई। उसने देखा कि तुंगा का पानी केटली से उबलकर जमीन पर फैल गया था और वह जल रहा था। वह जल्दी-जल्दी आग बुझाने लगा। लेकिन आग नहीं बुझी। तभी डॉक्टर कोसाकि लौट आए। आग देख कर वे भी घबरा गए। उन्होंने किसी तरह आग बुझाई, क्रोध से बोले, “तुमने मेरी चार दिन की मेहनत मिट्टी में मिला दी। मैं चार दिनों से तुंगा उबाल रहा था। यह गठिया की अक्सीर दवा है। तुम बिल्कुल भरोसेलायक आदमी नहीं हो।” सातोशि ने डॉक्टर से बार-बार माफ़ी माँगी और कहा, अब कभी ऐसी गलती नहीं होगी। डॉक्टर बोले- “ठीक है, इस बार तो माफ़ कर देता हूँ, पर आगे ध्यान रखना।”

सातोशि घर लौटा। लेकिन उसके दिमाग में बार-बार एक ही सवाल उठ रहा था – तुंगा का पानी क्यों जल रहा था? केटली में केवल पानी और तुंगा थे। लेकिन वह पेट्रोल की तरह जल रहा था, क्यो ? तुंगा कोई खास वनौषधि नहीं थी, वह पहाड़ में ऐसे ही होती थी। उधर की पहाड़ियों में तुंगा ही तुंगा था। सातोशि पहाड़ से कुछ तुंगा ले आया।

पहले दिन उसने चार घंटे उबाला, लेकिन पानी में आग नहीं लगी। तीसरे दिन भी कुछ नहीं हुआ। लेकिन चौथे दिन तुंगा का पानी पेट्रोल की तरह जलने लगा। सातोशि खुशी से उछल पड़ा। उसने दुबारा प्रयोग किया और करीब दो लीटर तुंगा वाटर तैयार किया। उसने तुंगा वाटर से गाड़ी चलाने की कोशिश की। गाड़ी चल पड़ी। सातोशि की खुशी का ठिकाना न था। उसने एक नया अविष्कार किया था।

सातोशि दौड़ा-दौड़ा डा० कोसाकि के घर गया और उनको सारी बात बताई। डा० कोसाकि ने अपने यहाँ अपने सामने वह प्रयोग करवाया। डा० कोसाकि बहुत खुश हुए, बोले- तुमने एक महान काम किया है। राज्य के एक मंत्री उनके मित्र थे। उन्होंने उनसे बातचीत की और सातोशि को लेकर मंत्री के घर चले गए। मंत्री के घर में सातोशि ने तुंगावाटर तैयार किया और उससे गाड़ी चलाकर दिखाई।

दूसरे दिन मंत्री महोदय के साथ सातोशि का चित्र छपा और इस महान आविष्कार की खबर अखबारों की हेडलाइन बनी। एक प्रमुख अखबार ने लिखा- हम कई बिलियन डालर का पेट्रोल खरीदते हैं। ये विदेशी कम्पनियाँ हमको लूट रही हैं। तुंगा से पेट्रोल बनाकर सातोशि ने देश की महान सेवा की है।

विरोधी दल ने इस खबर को मंत्री महोदय का पब्लिसिटी स्टंट बताया और तुंगावाटर की वैज्ञानिक जाँच की माँग की। मंत्री महोदय ने खुशी से इस माँग को स्वीकार कर लिया और पाँच वैज्ञानिकों की एक कमेटी जाँच के लिए आई। ये देश के बहुत बड़े-बड़े वैज्ञानिक थे। उन्होंने गाँव के सीधे-सादे सातोशि से जटिल सवाल पूछ-पूछ कर उसको नीचा दिखाने और बेवकूफ सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बेचारा सातोशि बुरी तरह नर्वस हो गया। वैज्ञानिकों ने कहा- जो बर्तन हम लाए हैं उसमें तुंगावाटर बना कर दिखाओ। सातोशि ने बहुत कोशिश की। लेकिन तुंगावाटर पेट्रोल की तरह नहीं जला। वैज्ञानिक सातोशि और मंत्री महोदय का मजाक उड़ाकर चल गए।

दूसरे दिन अखबारों ने बड़े विस्तार से वैज्ञानिकों की रिपोर्ट छापी और मंत्री और सातोशि के तुंगा से पेट्रोल बनाने के दावे को पूरी तरह नकार दिया। मंत्री के आगे अखबारों का ढेर लगा था और सातोशि उनके सामने सिर झुकाए लज्जित बैठा था। कुछ देर बाद मंत्री ने कहा- तुम एक बार फिर यह प्रयोग मेरे सामने करके दिखाओ। सातोशि ने दुबारा प्रयोग कर दिखा दिया। तुंगावाटर पेट्रोल की तरह जला।

मंत्री ने तीन वैज्ञानिकों को बिना किसी पूर्व सूचना के बुलाया और किसी अज्ञात स्थान में कड़ी सुरक्षा के बीच सातोशि को वह प्रयोग करने को कहा गया। ये खबर भी अखबारों में आई। उसके बाद पता चला कि मंत्री महोदय सपरिवार लंबी यात्रा पर विदेश चले गए। बाद में विरोधी दल ने यह भी कहा कि मंत्री महोदय ने लंदन की पॉश कालोनी में एक बहुत बड़ी बिल्डिंग खरीदी। लेकिन सातोशि और तुंगावाटर का क्या हुआ, इसका पता न तो विरोधी दल को चला और न अखबार वालों को।

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