4. हिदायत Stories by Prof. Vishwanath Mishra (made during his classes in 1996)

आकेमि हिन्दी पढ़ने के लिए वाराणसी आई। उसने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया लेकिन उसे हास्टल में जगह नहीं मिली। उसकी एक पूर्व परिचित जापानी लड़की तोमोको वाराणसी में रहती थी। तोमोको ने आकेमि की सहायता की। उसको अस्सी में एक कमरा दिला दिया।

तोमोको दो साल से वाराणसी में रह रही थी। उसने आकेमि को वाराणसी के लोगों के बारे में बताया और आकेमि को कई हिदायतें दी। तोमोको ने विशेष रूप से लड़कों के बारे में सावधान रहने को कहा – ये लड़के गोरे रंग और धन के पीछे दीवाने रहते हैं। वे हमसे दोस्ती करने की बहुत कोशिश करते हैं। उन्हें फ्री में सुन्दर लड़कियाँ मौज-मस्ती के लिए चाहिए। वे विदेशी लड़कियों के पैसों पर गुलछर्रे उड़ाना चाहते हैं। इन लड़कों के पास पैसे नहीं होते। क्योंकि वे माँ-बाप के पैसों पर पढ़ते हैं, और माँ-बाप ज़्यादा पैसे नहीं देते। यहाँ लड़कों के लिए कोई पार्ट टाइम जॉब भी नहीं है। इसलिए ज़्यादातर लड़कों की आर्थिक स्थिति कमज़ोर रहती है।” तोमोको ने ज़ोर देकर आकेमि को लड़कों से मेल-जोल न बढ़ाने के लिए कहा। दूसरी बात यह भी कि ये लड़के अपने माता पिता की इच्छा से ही विवाह करते हैं, और उनके माता पिता विदेशी लड़कियों को अच्छी नज़र से नहीं देखते। ये लड़के विदेशी लड़कियों के साथ ऐश करना चाहते हैं, उनके साथ शादी करना नहीं। इन लड़कों से दूर की नमस्ते भी ठीक नहीं है।

आकेमि के पड़ोस में एक लड़का रहता था, उसका नाम था आकाश। वह भी हिन्दू विश्वविद्यालय में पढ़ता था। आते-जाते आकेमि और आकाश एक दूसरे को देखते थे। लेकिन तोमोको की हिदायत के अनुसार आकेमि आकाश से बचती थी। एक दो बार आकाश ने बात करनी चाही भी, लेकिन आकेमि ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। आकेमि प्रायः रोज ही आते-जाते आकाश के सामने से गुजरती थी, लेकिन वह हमेशा तनी रहती थी, जैसे आकाश बहुत बुरा लड़का हो। उसके उस व्यवहार में घंमड और आकाश के प्रति उपेक्षा का भाव था। जो आकाश को खलता था। वह अपमानित अनुभव करता था। वह भी तनाव में रहने लगा।

आकेमि साइकिल से यूनिवर्सिटी जाती थी। एक दिन यूनिवर्सिटी से लौटते हुए, उसने रास्ते में सब्ज़ी खरीदी। उसे मूली बहुत पसन्द थी। उसने कई मूलियाँ खरीदीं और पीछे साइकिल के कैरियर पर बाँध ली। वाराणसी की सड़कें बहुत तंग हैं। इसलिए यहाँ साइकिल बड़ी सावधानी से चलानी पड़ती है। और भीड़ में आदमी ही नहीं, गाय-बैल, बकरियाँ और गधे भी होते हैं। आकेमि को पता नही चला कि कब एक गाय ने उसके कैरियर पर बँधी मूलियों को अपने मुँह से पकड़कर खींचा। आकेमि का बैलेन्स बिगड़ गया और वह सड़क पर गिर पड़ी। एक तरफ साइकिल पड़ी थी, दूसरी तरफ आकेमि और गाय मूलियाँ खा रही थी। तभी सामने से आकाश आया। यह देख कर वह ठठाकर हँसा और हँसता ही रहा। उसने आकेमि को उठाने की या उसकी मदद करने की कोई कोशिश नहीं की। बड़ी मुश्किल से आकेमि खड़ी हुई। उसकी बाँह में और घुटने में चोट आई थी उसने किसी तरह साइकिल उठाई। गाय सारी मूलियाँ चबा गई थी। वह लंगड़ाते हुए साइकिल लेकर चली। आकाश हँसता रहा, हँसता रहा।

यूनिवर्सिटी में छात्रों ने अपनी माँगों को लेकर एक जुलूस निकाला। पहला दिन तो शान्तिपूर्ण रहा। लेकिन दूसरे दिन जब फिर जुलूस निकला तो पुलिस और छात्रों में टकराव हो गया। तीसरे दिन फिर जुलूस निकला और उस दिन पुलिस और छात्रों के बीच संघर्ष हुआ। लड़कों ने पत्थरबाजी की और पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें काफी लड़कों के सिर फूटे, चोटें आईं और घायल हुए। युनिवर्सिटी अनिश्चितकाल के लिए बन्द कर दी गई। सैकड़ों छात्र अस्पताल में भर्ती किए गए।

आकेमि रोज सुनती थी, पुलिस ने लड़कों को बहुत बुरी तरह मारा है। कई दिनों से उसने आकाश को नहीं देखा था। वह सोच रही थी कि वह ज़रूर डर कर घर भाग गया होगा। एक दिन वह सड़क पर जा रही थी। उसने देखा, सामने से आकाश आ रहा था। उसकी बाँह पर प्लास्टर चढ़ा हुआ था और वह लंगड़ा कर चला रहा था शायद उसकी टाँग में भी चोट लगी थी। आकेमि उसके करीब से गुजरी यह वही जगह थी, जहाँ वह साइकिल से गिरी थी और आकाश हँस रहा था। आज वह हँस रही थी। वह खुलकर हँस रही थी। वह हँसी के मारे दोहरी हुई जा रही थी। आकाश पलट-पलट कर हँसती हुई आकेमि को देख रहा था। आकेमि उसको देखती और हँसती, उसको देखती, हँसती, तभी अचानक एक आटो रिक्शा बड़ी तेजी से आगे बढ़ने के लिए घूमा और उसने पीछे देखते हुए आकाश को बड़ी तेजी से टक्कर मारी। आकाश दूर जाकर गिर। आटो रिक्शा भाग गया। आकेमि की हँसी गायब हो गई। उसने पलट कर देखा आकाश सड़क पर बेहोश पड़ा था। कुछ लोग दौड़े, उसको उठाया और अस्पताल ले गए।

उस रात आकेमि ठीक से सो नहीं सकी। दूसरा दिन बीता, तीसरा दिन बीता, वह आकाश के बारे में जानना चाहती थी, लेकिन किससे पूछे। जहाँ दुर्घटना हुई थी, वहाँ एक चाय की दुकान थी। उसने चाय वाले से पूछा। चाय वाले ने बताया कि आकाश के सिर में चोट लगी है और वह तभी से बेहोश है। तीन दिन हो गए, अभी उसे होश नहीं आया है। आकेमि के मन को बड़ा धक्का लगा। वह सोचने लगी यह सब उसके कारण ही हुआ। न वह उस पर हँसती, न वह पलट कर देखता, और न दुर्घटना होती। वह अपने को दोषी मान रही थी। दूसरे दिन उसने दुकानदार से फिर पूछा। दुकानदार ने कहा- वह अभी भी बेहोश है। आकेमि बोली मैं उसको देखना चाहती हूँ,। कहा- मैं कल आपको पूछकर बताऊँगा। उसके दोस्त यहाँ चाय पीने आते हैं।

दुकानदार से पता लेकर आकेमि अस्पताल पहुँची स्टुडेन्ट वार्ड में बेड नम्बर सत्रह पर आकाश पड़ा था। वह उसके पास जाकर बैठ गई, वह आकाश को पहचानती थी। परन्तु इतने करीब से उसने आकाश को कभी नहीं देखा था। आकाश सुन्दर था। उसका भरा-पूरा शरीर था। वह बेहोश पड़ा था, किन्तु उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी। आकेमि सोच रही थी, ये सब मेरे कारण हुआ, ये सब मेरे कारण हुआ। वह उसके पास बैठी सोचती रही। वह काफी देर बैठी रही। वहाँ उसकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं था। तभी डॉक्टर आए। उसने डाक्टर से पूछा- यह कैसा है ? डॉक्टर ने कहा- सिर में गहरी चोट लगी है। यह कोमा में चला गया है। इसका बचना मुश्किल है। यह सुनकर आकेमि घबरा गई। बोली, कोई तो दवा होगी ? मेडिकल सांइस ने बहुत प्रगति की है। कोई तो इलाज होगा? डॉक्टर बोला – दवा तो है, लेकिन बहुत महँगी है। यह बेचारा गरीब है। इतनी महँगी दवा कौन लाएगा? आप दवा का नाम लिख दीजिए। डॉक्टर बोला- यह दवा भारत में मिलती भी नहीं है। विदेश में मिलती है विदेश से इसके लिए कौन दवा मँगाएगा? “ आकेमि ने कहा “आप दवा का नाम लिख दीजिए, मैं कोशिश करूँगी।” डॉक्टर ने दवा का नाम लिखा। वह एक इंजेक्शन था।

आकेमि ने जापान फ़ोन किया और अपने पिता से उस इंजेक्शन के लिए कहा। आकेमि ने कहा- इंजेक्शन चाहे जितना महँगा हो मुझे चाहिए। दूसरे दिन इंजेक्शन वाराणसी पहुँच गया। इंजेक्शन एक हजार डॉलर का था। वह इंजेक्शन लेकर डॉक्टर से पास पहुँची। डॉक्टर हैरान था। खैर, उसने आकाश को इंजेक्शन दिया। आकाश ने आँखें खोलीं, उसे होश आ गया। डॉक्टर खुशी से उछल पड़ा। लेकिन आकेमि बिना कुछ कहे चुपचाप वहाँ से चली गई। डॉक्टर ने आकाश को बताया कि एक जापानी लड़की ने जापान से इंजेक्शन मँगाकर तुम्हारी जान बचाई है। वह लड़की अभी-अभी यहीं थी। पता नहीं कहाँ चली गई।

आकाश और चार दिन अस्पताल में रहा। लेकिन आकेमि फिर अस्पताल नहीं गई। चौथे दिन आकाश की अस्पताल से छुट्टी हो गई। आकाश लगातार सोच रहा था कि उसकी जान बचाने वाली उसके लिए एक हजार डॉलर खर्च करने वाली जापानी लड़की कौन है? उस क्षेत्र में कई जापानी लड़के-लड़कियाँ रहते थे। यह लड़की कौन है | आकेमि के बारे में वह सोच भी नहीं सकता था। वह तो बहुत ही घमंडी और बदमिज़ाज लड़की है। वह तोमोको को जानता था। एक दिन वह उसके पास गया उसको सारी बात बताकर बोला, कि मैं उस जापानी लड़की का बहुत अहसानमंद हूँ, जिसने एक हजार डॉलर का इंजेक्शन मँगाकर मेरी जान बचाई। मैं नहीं जानता। यह लड़की कौन है। मैं उसका शुक्रिया भी अदा नहीं कर सका। तोमोको बोली – “ठीक है, मैं पता लगाऊँगी।

तोमोको आकेमि के घर पहुँची और उससे पूछा कि क्या उसने आकाश की मदद की है ? आकेमि ने साफ़ इनकार कर दिया – “मै उसको नहीं जानती। मैंने आज तक उससे बात नहीं की है, मैं उसकी मदद क्यों करूँगी। तोमोको अनुभवी औरत थी। वह समझ गई कि दाल में कुछ काला ज़रूर है। चुपचाप लौट गई। उसने आकेमि के पिता को फ़ोन करके पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने इंजेक्शन भेजा था। दूसरे दिन तोमोको आकेमि के घर आग-बबूला होकर पहुँची और चीखने चिल्लाने लगी-तुम झूठी हो। तुमने झूठ बोला- तुमने उसके लिए इंजेक्शन मँगाया। मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि ये लड़के तुमको फँसाएँगे और तुमको लूटेंगे लेकिन तुमने मेरी एक नहीं सुनी। तुम बेवकूफ़ लड़की हो। तोमोके बड़ी जोर से चीख रही थी। शोर सुन कर कई लोग इकट्ठे हो गए। आकाश भी बाहर निकल आया।

तोमोको ने आकाश को देखा तो वह आकाश पर बरस पड़ी। बोली ‘बहुत भोले बन कर मुझसे पूछ रहे थे कि वो जापानी लड़की कौन है ? आखिर तुमने इस मूर्ख लड़की को फँसा ही लिया न। लूटो, खूब लूटो। तुम हिन्दूस्तानी लड़के प्रेम का नाटक करते हो और विदशी लड़कियों को लूटते हो। मैं तुम दोनों को देख लूँगी।” और वह पैर पटकते हुए चली गई। बाकी लोग भी अपने घरों को चले गए।

आकाश आकेमि के दरवाज़े पर खड़ा रहा। आकेमि कुछ नहीं बोली। थोड़ी देर बाद आकाश ने कहा मुझे अन्दर आने के लिए नहीं कहोगी ? आकेमि ने कुर्सी खिसका दी और अन्दर चली गई। आकेमि कमरे के अन्दर थी। आकाश बोला मैं तुम्हारे घर पहली बार आया हूँ, चाय नही पिलाओगी? थोड़ी देर बाद आकेमि चाय लेकर आई। आकाश ने कहा तुम्हारी चाय कहाँ है? वह बोली मैं बाद में पिऊँगी। आकाश ने कहा- मेरे साथ बैठकर पिओ। वह चाय लेकर आई। आकाश बोला- मैं तुम्हे गलत समझता था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि तुम मेरे लिए इतना कुछ कर सकती हो। मैं तो मर चुका था। तुमने मुझे नया जीवन दिया हैं। अब यह जीवन तुम्हारा है और उसने अपना हाथ आकेमि के हाथ में दे दिया। आकेमि थोड़ी देर आकाश को देखती रही फिर उसने अपना दूसरा हाथ भी आकाश के हाथ पर रख दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.